Budget 2021: कोरोना के कारण बेरोजगारी की समस्या काफी बढ़ी है. सैलरीड क्लास में बड़े पैमाने पर सैलरी कट भी हुई है. ऐसे में इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को सरकार से राहत की उम्मीद है.
बजट 2021 (Budget 2021) की तैयारी चल रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कारोबारियों और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक कर उनकी मांगों और परेशानियों को समझ रही हैं. कोरोना के कारण इकॉनमी में आई सुस्ती के चलते चुनौतियां बहुत हैं. सरकारी खजाना खाली हो चुका है. ऐसे में सरकार से राहत की भी उम्मीद की जा रही है, लेकिन उसे अपनी आर्थिक सेहत का भी खयाल रखना होगा. इकोनॉमी में ‘V’ शेप रिकवरी चाहिए तो कुछ बड़े फैसले लेने होंगे जिससे मांग में तेजी आए.
टैक्स के मोर्चे पर बात करें सरकार की आधी कमाई डायरेक्ट टैक्स के जरिए और आधी कमाई इन-डायरेक्ट टैक्स के जरिए होती है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल टैक्स कलेक्शन में पर्सनल इनकम टैक्स का योगदान 26 फीसदी और कॉर्पोरेट का योगदान 28 फीसदी है. जब से पीएम मोदी आए है तब से पर्सनल इनकम टैक्स का योगदान लगातार बढ़ा है. 2015-16 में यह 20 फीसदी के करीब था जो 2020-21 में 26 फीसदी को क्रॉस कर चुका है.
कॉर्पोरेट टैक्स योगदान
दूसरी तरफ कॉर्पोरेट के योगदान में गिरावट देखी जा रही है. 2015-16 में कॉर्पोरेट का योगदान 31 फीसदी था जो 2019-20 में घटकर 28 फीसदी पर आ गया.सितंबर 2019 में कॉर्पोरेट को राहत देते हुए कॉर्पोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया गया था. जो कंपनियां इंसेंटिव का फायदा उठाती थी उनके लिए यह 35 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया. साथ ही न्यू मैन्युफैक्चरिंग फर्म के लिए यह 25 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया था.
इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स का योगदान
ऐसे में इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को सरकार से काफी उम्मीदें हैं. हालांकि जानकारों का कहना है कि सरकार की वित्तीय हालत खराब है जिसके कारण टैक्स स्लैब में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है. पिछले बजट में नए टैक्स सिस्टम की घोषणा की गई थी. इसमें किसी तरह की छूट नहीं दी गई है. इससे साफ है कि लॉन्ग टर्म में सरकार डिडक्शन और एग्जेम्पशन को हटा सकती है. निर्मला सीतारमण ने साफ साफ कहा है कि यह बजट ‘never before’ होगा. साथ में उन्होंने यह भी कहा कि हेल्थ, मेडिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट, टेलीमेडिसिन जैसे क्षेत्र महत्वपूर्ण होंगे.
सैलरीड क्लास की हालत खराब
बेरोजगारी बढ़ी है और सैलरीड क्लास की हालत खराब है. ऐसे में वह टैक्स में राहत चाहता है. सरकार से इनकम टैक्स में छूट की लिमिट बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है. इसके अलावा निवेश में तेजी लाने के लिए 80सी के तहत छूट की लिमिट बढ़ाने की भी मांग है. कोरोना काल में हेल्थ इंश्योरेंस में तेजी आई है. ऐसे में सरकार क्या इसमें छूट की लिमिट बढ़ाएगी, यह देखना होगा.
कैसे पूरा होगा आत्मनिर्भरत भारत का सपना?
अगर आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देना है तो देश के स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज को सपोर्ट की जरूरत है. अगर इसे समर्थन नहीं किया गया तो चाइनीज मैन्युफैक्चरिंग का मुकाबला मुमकिन नहीं है. रियल एस्टेट की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है. ऐसे में इस सेक्टर को बूस्टर डोज की जरूरत है.
इन-फॉर्मल सेक्टर एक बड़ी चुनौती
बेरोजगारी बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इन-फॉर्मल सेक्टर का जीडीपी में योगदान 50 फीसदी और रोजगार में 80 फीसदी से ज्यादा है. यह सेक्टर बहुत ज्यादा प्रभावित है. ऐसे में सरकार को इस सेक्शन के लोगों के लिए विशेष घोषणा करनी होगी. अगर इस सेक्शन के लोगों की आर्थिक हालत में सुधार नहीं आता है तो डिमांड में तेजी संभव नहीं है. इससे इकोनॉमी में सुधार लाना मुश्किल होगा.